🛏️ आलसी जॉन | Lazy one 🛋️

लघु कथाएँ | Short Stories in Hindi | Hindi Short Story

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में जॉन नाम का एक युवक रहता था। जॉन का स्वभाव कुछ अजीब था — वह मेहनत से कोसों दूर भागता था। उसे काम से ज़्यादा नींद प्यारी लगती थी, और सपनों में वह खुद को राजा, अमीर व्यापारी या कभी-कभी कोई महान खोजकर्ता देखता था। पर असलियत में? दिनभर पेड़ के नीचे लेटा रहता, आकाश को ताकता, और सोचता — “काश, बिना मेहनत किए सबकुछ मिल जाए…”

उसके माता-पिता रोज़ उसे समझाते,
“जॉन बेटा, जीवन में कुछ पाना है तो मेहनत करनी पड़ेगी। किस्मत भी उसी की मदद करती है जो खुद की मदद करता है।”
लेकिन जॉन हर बार हँसकर टाल देता,
“अरे माँ, आप देखना, एक दिन मेरी किस्मत खुद चलकर मेरे पास आएगी!”

एक दिन गाँव में एक साधु आया। वह ज्ञानी, शांत और तेजस्वी व्यक्ति था। उसने देखा कि जॉन पेड़ के नीचे पैर फैलाए, आधी नींद में लेटा हुआ है। साधु मुस्कुराया और बोला,
“बेटा, तुम इस सुहाने दिन में भी सो रहे हो? कोई काम-धंधा नहीं?”

जॉन ने आलस भरी आवाज़ में कहा,
“काम करके क्या मिलेगा, बाबा? मैं चाहता हूँ कि मुझे बिना मेहनत सब मिल जाए — धन, घर, सुख-सुविधा सब।”

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साधु ने आँखों में चमक लाते हुए कहा,
“अगर मैं तुम्हें एक ऐसा मंत्र दूँ, जिससे तुम्हारे सारे सपने पूरे हो जाएँ, तो?”

जॉन झटके से उठ बैठा,
“सच में बाबा? ऐसा मंत्र है क्या? बताइए ना!”

साधु ने गंभीरता से कहा,
“है, पर इसके लिए तुम्हें थोड़ा-सा प्रयत्न करना होगा।”
जॉन ने तुरंत कहा,
“प्रयत्न मतलब… बहुत ज़्यादा मेहनत तो नहीं करनी पड़ेगी न?”

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साधु मुस्कुराया,
“बस इतना कि एक खेत तैयार करो, उसमें बीज बोओ। जब फसल उग आए, तो तुम्हारी किस्मत बदल जाएगी।”

जॉन को यह बात आसान लगी। उसने सोचा, “अगर सिर्फ बीज बोने से किस्मत बदल सकती है, तो यह तो बच्चों का खेल है!”
अगले ही दिन उसने गाँव के किनारे एक छोटा-सा खेत चुना और हल चलाने लगा। पहले दिन ही उसकी कमर दर्द करने लगी, हाथों में छाले पड़ गए, और उसने खुद से कहा,
“ये तो साधु बाबा ने धोखा दे दिया… ये कोई आसान काम नहीं है!”

पर फिर भी उसने हिम्मत नहीं छोड़ी। रोज़ थोड़ा-थोड़ा काम करता गया — खेत तैयार किया, बीज बोए, पानी दिया। धीरे-धीरे उसकी थकान कम होने लगी, और उसे अपने काम से अजीब-सी संतुष्टि मिलने लगी।

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महीनों बीते… खेत में सुनहरी फसल लहराने लगी। जब हवा चलती, तो गेहूँ की बालियाँ झूमतीं — जैसे खेत मुस्कुरा रहा हो। जॉन ने जब वह दृश्य देखा, तो उसके चेहरे पर गर्व और खुशी दोनों झलक रहे थे।

वह दौड़कर घर गया और बोला,
“माँ, देखो! मेरा खेत लहलहा रहा है! मैंने खुद मेहनत से ये किया है!”

माँ की आँखों में आँसू आ गए,
“देखा बेटा, यही असली जादू है — मेहनत का मंत्र!”

फसल बेचने पर जॉन ने अच्छा धन कमाया। अब वह दिनभर पेड़ के नीचे सपने नहीं देखता था — बल्कि अपने खेत में काम करते हुए अपने सपनों को हकीकत में बदलने लगा।

धीरे-धीरे गाँव के लोग भी उसे देखकर प्रेरित हुए। अब वही जॉन, जो पहले आलसी कहलाता था, पूरे गाँव में “मेहनती जॉन” के नाम से जाना जाने लगा।

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