बच्चो के लिए कहानियाँ | Moral Stories for Kids in Hindi
बहुत समय पहले की बात है…
एक छोटे, शांत और प्यारे से गाँव में एक बहुत अमीर ज़मींदार रहता था।
उसके पास था सब कुछ —
बड़े-बड़े खेत, गाय-भैंसों के झुंड, नौकर-चाकरों की लाइन, और… एक भारी-भरकम तिजोरी, जिसमें सोने की चमचमाती मुहरें रखी थीं!
पर क्या वो खुश था?
नहीं! 😔
क्योंकि वो आदमी था कंजूसों का राजा!
वो दिन-रात अपने सोने को लेकर परेशान रहता।
कभी ताले बदलता, कभी तिजोरी को छूकर देखता कि अभी सब कुछ है या नहीं।
रात में भी करवटें बदलते हुए बड़बड़ाता —
“हाय! अगर किसी ने चुरा लिया तो? क्या पता नौकरों में से कोई चालाक निकले!”
आख़िर एक दिन उसने तय किया,
“तिजोरी में रखना ख़तरा है… बेहतर होगा कि इसे ज़मीन में छिपा दूँ।”
Moral Stories for Kids in Hindi
वो रात को चुपचाप उठा,
थोड़ा सोना तौला, फिर उससे गोल-गोल सोने के गोले बनवाए।
फिर खेत के एक कोने में, पुराने नीम के पेड़ के नीचे, गड्ढा खोदा और उन गोलों को सावधानी से गाड़ दिया।
उसने मिट्टी से ढँक दिया, फिर इधर-उधर देखकर बोला,
“अब मेरा सोना सबसे सुरक्षित है… किसी को पता भी नहीं चलेगा!”
अब हर सुबह ज़मींदार खेत जाता।
धीरे-धीरे मिट्टी हटाता, गोलों को निकालता,
एक-एक करके गिनता,
“एक… दो… तीन… चार…”
और फिर सब वापस गाड़ देता।
पर मज़ेदार बात —
वो कभी उस सोने को खर्च नहीं करता था!
न खुद कुछ खरीदता,
न किसी की मदद करता।
बस गिनता रहता, जैसे कोई बच्चा खिलौनों को गिनकर खुश हो जाए।
गाँव वाले हँसते, “अरे हमारे ज़मींदार जी तो सोने के गिनतीबाज बन गए हैं!”
पर उसे किसी की परवाह नहीं थी।
उसके लिए वही गोले उसकी “ज़िंदगी” थे।
Moral Stories for Kids in Hindi
एक रात, जब ज़मींदार हमेशा की तरह मिट्टी हटाकर गिन रहा था,
एक चालाक चोर पास के पेड़ के पीछे छिपा हुआ सब देख रहा था।
उसकी आँखें चमक उठीं —
“वाह रे किस्मत! ये तो खुद बता रहा है कि खज़ाना कहाँ है!”
ज़मींदार जैसे ही वापस अपने घर गया,
चोर दबे पाँव आया,
गड्ढा खोदा,
और सारे सोने के गोले निकालकर फुर्र हो गया! 💨
सुबह-सुबह ज़मींदार हमेशा की तरह खेत पहुँचा।
वो गड्ढा खोदने लगा और जैसे ही मिट्टी हटी —
वो ज़ोर से चिल्लाया,
“हाय दैया! मेरा सोना! मेरा सब कुछ लूट गया!”
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वो ज़मीन पर लोट-लोटकर रोने लगा।
“किसने लिया? कौन था वो? ओ भगवान, अब मैं क्या करूँ?”
उसकी आवाज़ सुनकर आस-पास के खेतों में काम करने वाले किसान भी इकठ्ठा हो गए।
तभी वहाँ से एक राहगीर गुज़रा — एक साधारण, लेकिन समझदार आदमी।
वो पास आया और बोला,
“बाबा, क्या हुआ? इतना क्यों रो रहे हो?”
ज़मींदार आँसू पोंछते हुए बोला,
“अरे बेटा, मेरा खज़ाना चला गया! मैं रोज़ यहाँ आता था, मिट्टी हटाता था, अपना सोना गिनता था… आज देखा तो सब गायब!”
राहगीर ने भौंहें चढ़ाईं,
“आप रोज़ गिनते थे? पर उस सोने का करते क्या थे?”
ज़मींदार ने मासूमियत से कहा,
“कुछ नहीं करता था… बस देखता था। उससे मुझे खुशी मिलती थी।”
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राहगीर ने मुस्कराकर पास से कुछ कंकड़ उठाए,
गड्ढे में डाल दिए और बोला,
“लो बाबा, अब इन कंकड़ों को रोज़ गिनना।
इनसे भी तुम्हें उतनी ही खुशी मिलेगी, जितनी उस सोने से मिलती थी —
क्योंकि तुमने अपने सोने से भी तो कुछ किया ही नहीं!”
ज़मींदार पहले तो हैरान हुआ…
फिर उसका चेहरा उतर गया।
उसे अपनी गलती समझ में आ गई।
वो धीरे से बोला,
“सही कहा बेटा… मैं तो बस सोने की पूजा करता रहा,
पर असली काम तो तब होता जब उससे किसी का भला होता।”
उस दिन के बाद उसने अपनी आदत बदल ली।
वो गाँव के लोगों की मदद करने लगा — किसी को बीज देता, किसी को अनाज, किसी की शादी में सहायता करता।
अब वो सिर्फ अमीर नहीं, सबका प्यारा ज़मींदार बन गया।
शिक्षा:
धन तभी काम का है जब उसका सही उपयोग हो, अगर हमारे पास कोई चीज़ है चाहे वो पैसा हो, ज्ञान हो, या प्यार तो उसे सही समय पर इस्तेमाल करना ज़रूरी है।




