बच्चो के लिए कहानियाँ | Hindi Short Story for Kids
बहुत समय पहले की बात है। एक हरे-भरे, शांत जंगल में एक सुंदर बारहसिंगा रहता था। वह अपनी सुंदरता के लिए पूरे जंगल में मशहूर था। उसका सुनहरा फर, चौड़ी आँखें, और सबसे बढ़कर — उसके बड़े, घुमावदार और चमकते सींग — सभी जानवरों को आकर्षित करते थे।
एक दिन की बात है। सूरज की हल्की किरणें पेड़ों की पत्तियों से छनकर नीचे आ रही थीं। हवा में फूलों की खुशबू फैली हुई थी। बारहसिंगा धीरे-धीरे चलता हुआ तालाब की ओर आया, ताकि थोड़ी ठंडक पा सके और पानी पी सके।
वह झुककर पानी पीने लगा, तभी उसकी नजर अपने प्रतिबिंब पर पड़ी।
“अरे वाह!” वह खुद से बोला, “क्या बात है मेरे सींगों की! क्या खूब लहरदार हैं, क्या आकार है! कोई भी जानवर मेरे जैसे सुंदर सींग लेकर इस जंगल में नहीं घूमता होगा!”
वह गर्व से मुस्कुराया, सिर को इधर-उधर घुमाया, और सींगों पर पड़े सूरज की चमक को निहारने लगा।
“इन सींगों से तो मेरी शान और बढ़ जाती है,” वह बोला, “अगर मैं किसी भी झुंड में जाऊँ, तो सबकी नज़र मुझ पर ही टिक जाएगी।”
फिर अचानक उसकी निगाह अपने पैरों पर पड़ी। उसने माथे पर शिकन डालते हुए कहा, “उफ्फ! ये कैसे टेढ़े-मेढ़े पैर हैं मेरे! इतने पतले, जैसे लकड़ी की डंडियाँ। इनका कोई सौंदर्य ही नहीं!”
वह झुंझलाकर बोला, “काश भगवान ने मुझे मेरे सींगों जितने सुंदर पैर दिए होते, तो मैं सच में इस जंगल का राजा होता।”
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तभी झाड़ियों के पीछे से एक खरगोश ने आवाज लगाई, “क्या बात है मित्र? आज बड़े खुश नजर आ रहे हो!”
बारहसिंगा मुस्कुराया, “बस अपनी सुंदरता निहार रहा था। देख न, मेरे सींग कितने आकर्षक हैं!”
खरगोश हँसते हुए बोला, “हाँ हाँ, सुंदर तो हैं, लेकिन मेरे दोस्त, पैरों की बदौलत ही तो तू भागकर जान बचाता है। सुंदरता से ज्यादा ज़रूरी है उपयोगिता।”
बारहसिंगा थोड़ा खीझकर बोला, “अरे छोड़ो न ये बातें! सुंदरता में भी तो ताकत होती है।”
खरगोश ने सिर हिलाया और कहा, “समय आने पर खुद समझ जाओगे।”
थोड़ी देर बाद, हवा में एक अजीब सी गंध आई। बारहसिंगा के कान खड़े हो गए। दूर से कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी।
वह चौकन्ना होकर बोला, “ओह! ये तो शिकारियों के कुत्तों की आवाज है!”
फिर वह बिना समय गंवाए, जंगल की ओर भागा।
उसके वही पतले-पतले पैर अब बिजली की तरह काम कर रहे थे। पत्ते उड़ने लगे, मिट्टी उड़ने लगी, और उसकी तेज दौड़ से पूरा जंगल गूंज उठा।
“भागो, जितनी तेजी से हो सके!” उसके मन में आवाज गूंजी।
उसके पीछे शिकारियों के तीर चलने की आवाजें थीं। लेकिन वह दौड़ता ही चला गया — कभी बाएं मुड़ा, कभी दाएं, कभी पेड़ों के बीच से निकल गया।
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कुछ देर बाद, जब उसे लगा कि अब खतरा टल गया है, तो वह रुक गया। उसने राहत की सांस ली और बोला, “हा! बच गया मैं। इन बेढंगे पैरों ने आज जान बचा ली।”
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
जैसे ही उसने एक बड़े पेड़ के नीचे सिर झुकाया, उसके सुंदर सींग पेड़ की शाखाओं में उलझ गए।
“अरे नहीं!” वह घबराकर बोला। “छोड़ो मुझे, छोड़ो!”
वह इधर-उधर सिर मारता रहा, शाखाएँ टूटतीं तो थीं, लेकिन उसके सींग भी बुरी तरह फंस चुके थे।
इतने में दूर से शिकारियों की आवाज आई, “वो रहा! वहीं है बारहसिंगा!”
बारहसिंगा के शरीर में सिहरन दौड़ गई। उसने पूरी ताकत से खुद को छुड़ाने की कोशिश की।
“भगवान! अब तो मदद करो!” उसने चीखकर कहा। “मैं वादा करता हूँ, अब कभी सुंदरता पर घमंड नहीं करूँगा।”
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लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। एक शिकारी ने तीर छोड़ा — “शूं!” — और वह सीधा बारहसिंगा के सीने में जा लगा।
बारहसिंगा दर्द से तड़पता हुआ जमीन पर गिर गया। उसकी आँखों से आँसू बह निकले।
वह धीमी आवाज़ में बोला, “कितना मूर्ख था मैं… जिन पैरों को मैं बदसूरत कहता था, उन्होंने मुझे बचाया। और जिन सींगों पर मुझे गर्व था, उन्हीं ने मेरी जान ले ली…”
धीरे-धीरे उसकी सांसें थम गईं। हवा में बस पत्तों की सरसराहट और एक दुख भरी खामोशी रह गई।
कुछ देर बाद वही खरगोश वहाँ पहुंचा, जिसने उसे सुबह चेताया था। उसने गहरी साँस ली और कहा, “देखा मित्र, सुंदरता नहीं, समझदारी और सादगी ही असली गहना है।”
उस दिन जंगल के सारे जानवरों ने यह बात मन में बैठा ली।
शिक्षा:
घमंड हमेशा विनाश की जड़ होता है। बाहरी सुंदरता क्षणिक होती है, परंतु असली मूल्य उस चीज़ का होता है जो हमारे जीवन में उपयोगी हो। जो हमें तुच्छ लगती है, वही कठिन समय में हमारी सबसे बड़ी ताकत बन जाती है।




